हमारी दृष्टि
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। यह राज्य अपनी संस्कृति और अपने लोगों की आर्थिक और भौतिक सेवा के लिए पर्याप्त संसाधन रखता है। यहां की समृद्ध कृषि भूमि, चाहे पहाड़ी क्षेत्र हो या मैदानी, धार्मिक मंदिर, नदियां और पर्यटक स्थलों की भरमार है। फिर भी, राज्य बनने के बाद से ही, इन संसाधनों का सही उपयोग करने और आर्थिक प्रगति के लिए आधारभूत ढांचे का विकास नहीं हो पाया है।
समस्याएं और चुनौतियां:
पर्यटन का अभाव:
प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन के बावजूद, उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है।कृषि में बुनियादी ढांचे की कमी:
पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में उपजाऊ भूमि होने के बावजूद, ऑर्गेनिक फसल, सब्जियां, फल, और औषधीय पौधों के उत्पादन के लिए आधारभूत सुविधाएं और जागरूकता की कमी है।शिक्षा में पिछड़ापन:
प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, छात्रों को निजी स्कूलों और राज्य से बाहर के संस्थानों पर निर्भर रहना पड़ता है। जो इसे वहन नहीं कर सकते, उन्हें खराब शैक्षिक सुविधाओं का सामना करना पड़ता है।नीतियों का अभाव:
पर्यटन, कृषि, और कुटीर उद्योगों को आय का मुख्य स्रोत बनाने के बजाय, कोई ठोस पर्यटन नीति, औद्योगिक नीति, शिक्षा नीति, या भूमि कानून नहीं बनाए गए।जनसंख्या का पलायन:
राज्य में रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण सक्षम और संपन्न लोग पलायन कर गए हैं। जो लोग गरीब और असहाय हैं, उन्हें उनकी परिस्थिति के अधीन छोड़ दिया गया है।
हमारी प्रतिबद्धता:
उत्तराखंड की जनता ने उत्तराखंड क्रांति दल के नेतृत्व में इस राज्य के निर्माण के लिए लड़ाई लड़ी है। केवल हम, उत्तराखंड के लोग, इस राज्य की पीड़ा और संघर्ष को समझ सकते हैं।
हमारा मानना है कि:
- यह राज्य किसी भी राष्ट्रीय पार्टी या बाहरी लोगों की संपत्ति नहीं है।
- हमारे पूर्वजों ने इस राज्य के लिए अपना खून बहाया है, और हम इसकी रक्षा करेंगे।
- हम तब तक लड़ते रहेंगे, जब तक गैरसैंण हमारी स्थायी राजधानी नहीं बनती।
- जब तक हमारे राज्य के लिए भूमि कानून नहीं बनते।
- जब तक शिक्षा, पर्यटन और औद्योगिक नीतियां नहीं बनाई जातीं।
- जब तक उत्तराखंड के लोग पूरी तरह सशक्त नहीं हो जाते।
यह समय है कि हम अपनी गलतियों से सीखें और उत्तराखंड में उत्तराखंड के लोगों की सरकार बनाएं, उत्तराखंड के लिए।
“जय हिंद। जय उत्तराखंड।”